आँखें लाल ,भीगी पलकें ,आँखों से बारिश की बूंदों की तरह टप टप बरस रहे थे आँसूं ...लोंगों ने सोचा की न जाने की क्या कारन है जो हम इस तरह अपनी आँखों से कुछ बयां कर रहे है ...क्या सफाई दे ?क्या कारण दें ?क्यूंकि जो कारण हमारे रोने का था वो तो कोई महसूस ही नही नहीं कर सकता था ...
लोग कहते है जो लोग रोते है ,वो ये साबित करते है की वो कमज़ोर हैं ,वे नाज़ुक दिल वाले हैं और उनमे सहनशीलता नहीं है ,पर कोई हमसे पूछे तो हम बताये ,की जो ऐसा कहते है वो कितने गलत हैं ...
हमारे अनुसार तो आंसुओं की कुछ और ही परिभाषा है ...ये जो आँसूं है सिर्फ आँखों से बहता पानी ही नहीं है ..बल्कि ये वो दर्द ,वो दुःख, ख़ुशी-ख्वाब ,इच्छा ,एहसास हैं जो एक मनुष्य के अन्दर समाया रहता है ..कभी कभी इनमे से जब किसी एक भाव का भार ज्यादा हो जाता है तब वो बहार निकलने के लिए आँखों को अपना रास्ता बना लेता है .....!आंसुओं से ये साबित नही होता की वो व्यक्ति कमज़ोर है बल्कि ये बयां होता है की उस व्यक्ति के भीतर अपार शक्ति है की वो अपने अन्दर के तूफ़ान को कितने घंटों ,कितने दिन ,कितने महीनो शायद सालों से रोके हुए है ..कभी तो उसे बहार आना ही था नहीं आता तो इन्सान टूट जाता ....
जिनकी आँखों में आँसूं आते है वो दिल से बेहद गंभीर और गहरे होते हैं ...हर व्यक्ति किसी न किसी ऐसे कारण से रोता है जिसकी वजह से उसकी रातों की नींद ,उसका चैन या मानसिक शांति छिन गयी होती है न की उसको रोने का शौक है ....इसलिए हमारी हर एक इन्सान से गुज़ारिश है की अगर कोई रोता है ..तो उसे चुप करने के लिए कुछ ऐसा न किया जाये और न ही कहा जाये जो की उसे और दुःख पहुंचाए ...
हमारे अनुसार एक मनुष्य को जी भर कर रो लेने दिया जाये ताकि भविष्य में उसके मनन में शांति बनी रहे ..वह किसी बोझ टेल दबा हुआ न महसूस करे ............................ये आँसूं बहोत कीमती हैं और जब ये निकलते है तो ये हमेशा एक वडा कर के जाते है की जिस वजह से युए बाहर आये उस वजह को ही मिटा देंगे ..ये व्यक्ति को इतना मज़बूत बना देते हैं की अगली बार जब जब वही कारण उसे परेशान करता है तब व्यक्ति उस कारण को इतनी शक्ति और हौसले से बर्दाश्त करता है की वो कारण ही दूर हो जाता है ....आँसूं तो वो बयां करते है जो शायद व्यक्ति अपने मुंह से कभी नही कह पता .....
काश हमारे पास भी कोई ऐसा हो जो इनकी भाषा समझ ले .....पर कोई बात नहीं ...हम खुद इनकी भाषा समझेंगे क्यूंकि जब हम अकेले होते हैं तब यही तो हमारा साथ निभाते है ...आँसूं हमारे सच्चे मित्र होते हैं ...आसुओं से हम अपने ह्रदय को सींचते है ताकि हमारे मन की हरियाली पनपे ...हमे सब कुछ अच्छा लगने लगे .......................
इसलिए आंसुओं को कभी भी गलत नहीं लेना चाहिए और जब कोई रो रहा हो तब ये समझना चाहिए की रोने वाला व्यक्ति अपने सबसे करीबी दोस्त से बात कर रहा है ...........................................!
'वो अश्क जो हमारी आँखों से ढल गया होगा
किसी हार का मोती पिघल गया होगा
सिमरन की आँखों में आँसूं कहाँ' आते है
कहीं घटाओं में सूरज पिघल गया होगा ''