Thursday 5 May 2011

चरित्र



मैं पुरुष पाठकों से कह रही हूँ ,मान लीजिये आपको लग रहा है की एक लड़की ने आपके साथ अन्यायपूर्ण आचरण किया है या फिर किया नहीं है पर देख सुन कर आपको लगता है की लड़की बहुत अहंकारी है ,अहंकार से उसके पैर धरती पर नहीं टिकते ,अकड़कर चलती है ,किसी की तरफ मुड़कर नहीं देखती ,किसी को नहीं पूछती....ऐसी स्थिति में यदि आप बदला लेना चाहते हैं तो आपके पास एक अच्छा उपाय है ...वो लड़की आपको पूछती नहीं है ,न पूछे -इससे आपको कोई असुविधा नहीं होगी....इस बात को लेकर आप बिलकुल परेशान मत होईयेगा..आप तो पुरुष हो..पौरुष से आपका खून खौल रहा है ...आपके हाथ में एक ऐसा भयानक शस्त्र है,जिसका प्रयोग करके आप उस लड़की का पूरा अहंकार या सरलता कुछ भी कह लीजिये,एकदम मिटटी में मिला सकते है ....इतना ही नहीं जनाब यदि उसका माथा ऊँचा है तो उसे नतमस्तक करने की क़ाबलियत है आपके पास....

किसी प्रकार की कटारी  या छुरे की आवश्यकता नहीं...उन सबके झमेले में मत जाईयेगा...क्यूंकि इससे काट डालने पर मुकद्दमा शुरू होगा..खामखा जेब से कुछ पैसा निकल जायेगा...पिस्तोल से भी नही क्यूंकि क्यूंकि उसमे भी खतरा कम नहीं है गोली की आवाज़ सुन कर सैकड़ों लोग जमा हो जायेंगें..सुन रही हूँ आजकल एसिड से भी बहोत अच्छा नतीजा नहीं निकलता आँखें ठीक से अंधी नही होती,गाल ठीक से जलते नहीं ऊपर से अगर निशाना ठीक न हुआ तो कोई फायदा भी नहीं ......

अवश्य ही आपको ये जानने की बहुत इच्छा हो रही होगी की ये ज़बरदस्त अस्त्र है क्या ?क्या है वो अस्त्र --जो आधुनिक कोई आयुध नही---जो हमेशा प्रयोग होता आया है...फांसी का फंदा भी नहीं है,मजबूत कलाई वाला हाथ भी नहीं जो मौका मिलते ही गला दबा देगा..तो क्या कोई गला काटने वाला कोई ब्लेड है या जूता जिसे अवसर पाते ही फेंककर मारा जा सकता है ? नहीं वैसा कुछ भी नही है...

मैं अच्छी तरह जानती हूँ की जो पुरुष पाठक इसे ओअध रहे होंगे,शत प्रतिसह्त ये जाना चाह रहे होंगे की बंद मुट्ठी में जो अस्त्र है वो आखिर है क्या ..दरअसल बंद मुट्ठी कहना ठीक नहीं होगा क्यूंकि ,अस्त्र तो आपकी जीभ पर है ...ज्यादा नहीं आपको सिर्फ एक वाकया का उच्चारण करना होगा ..केवल किसी एक व्यक्ति क सामने आप एक वाक्य बोलेंगे..यही वाक्य आपका अस्त्र है जिसके द्वारा आप  अपनी मंजिल की ओर अग्रसर होंगे ..जो वाक्य घटना में चरम सफलता लायेगा, वो है,''इस लड़की का चरित्र ठीक नहीं है 'बस किला फ़तेह !इसके बाद आप बदन में हवा लगते हुए घूमिये या दरवाज़ा बंद कर के चुप चाप सो जाईये ,फिर आपकी ज़रूरत नहीं होगी ..ये अकेला वाक्य ही बाज़ी  मार ले जायेगा ...एक अड्डे से दूसरा अड्डा ,एक शहर से दूसरा शहर ...चरित्र अगर नारी चरित्र हुआ तो उस जैसा कमज़ोर शीशा आपको और कहीं नहीं मिलेगा वो तो इतना कमज़ोर होता है की उसकी तरफ मुंह करके फूंकने पर वो चूर चूर हो जाता है ....आपको चिंतित होने की कोई बात नहीं ..इसके लिए किसी चश्मदीद गवाह की ज़रूरत भी नहीं होगी ..कोई जेल या जुर्माना भी नहीं है

पुरुष पाठकों !मान लीजिये ,आपने इस हथियार का प्रयोग किया परिणाम स्वरुप उस लड़की को किस किस तरह की समस्याओं को झेलना पड़ रहा है ये आप उसी समय जान सकते है ,अगर आप नए सिरे से लड़की होकर जन्म लें ..वरना मैं आपको ये समझाने में असमर्थ हूँ की लड़की अब इन-इन सामाजिक अवस्था में है ....इसका मतलब ये नहीं है की आप बात को बिलकुल नहीं समझ पाएंगे ---एक उपाय है...आप यदि किसी परिवार में सामाजिक रूप से रह रहें है और आपकी कोई बहन उस परिवार में बड़ी हो रही है तो उसके नाम पर ऐसी बात आप खुद बोल कर बड़े ही चमत्कारिक ढंग से इसका आनंद ले सकते है ..ये वाक्य कहाँ और कितनी दूर जाता है तथा क्या क्या गुल खिलाता है ..ये जानने के लिए इस वाक्य के पीछे आप पूंछ की तरह लगे रहिये और ध्यान रखिये...अवश्य ही आप निशचिंत होंगे की जिस अस्त्र की बात आपको सुनाई.... सुने वो बुरा नहीं है..

''चरित्र '' एक बेहद मूल्यवान वस्तु है ..पुरुष के लिए उसे सम्हाले रखने की कोई ज़रूरत भले ही न हो ..नारी के लिए होती है ,,,नारी यदि उसे संदूक में बंद करके रखती है तो संरक्षित सामग्री ऊंचे दामों में बिकती है और उसे लेकर व्यवसाय कर रहें है हमारे समाज के धुरंदर सौदागर ....

फिलहाल पुरुष पाठकों से बातचीत ख़त्म करती हूँ ...अब स्त्री पाठक से कहती हूँ .....पुरुषों को जो तौर तरीका मैंने बताया ..दरअसल मुझसे  वो ज्यादा अच्छी तरह इसे समझते है ...फिर भी इसलिए बताया ताकि वो जान लें की उनकी चल को हम लड़कियां अब अच्छी तरह समझ चुकीं हैं ..जो रहस्य खुल जाता है ..उसका तीखापन अपने आप कम हो जाता है .......

अंत में महिला पाठकों के उद्देश्य से ''चरित्र'' नाम की कविता निवेदित करती हूँ


''तुम लड़की हो,
तुम बहुत अच्छी तरह याद रखना
जब तुम घर से की दहलीज़ पार करोगी
लोग तुम्हे तिरछी नज़रों से देखेंगे ...
तुम जब गली से होकर चलती रहोगी
लोग तुम्हारा पीछा करेंगे,सीटी बजायेंगे....
जब तुम गली पार कर मुख्य सड़क पर पहुँचोगी,
लोग तुम्हे चरित्र हीन कह कर गाली देंगे
अगर तुम निर्जीव हो
तो तुम पीछे लौटोगी
वरना
वरना जैसे जा रही होगी
चलती जाओगी .............''





4 comments:

  1. sach kaha simran....female charachter is the softest target..sad but naked truth of the so called broad minded society...!

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  2. आदरणीया सिमरन जी आप के विचार अत्यंत उत्कृष्ट है ,साथ ही अवगत करना चहुँगा की समाज के कुंठित और मनोरोगी पुरुष ही लड़कियों या महिलाओं पर आक्रमण कर उनकी सुंदरता को नष्ट की चेष्टा करते है या कई बार सफल भी हो जाते है,और परिणाम स्वरूप अधिकांश मामलों में इस तरह के लोगों को अदालत से सजा भी हो जाती है| सिमरन जी आज बदलते परिवेश में सामाजिक मूल्यों में गिरावट आई है अन्यथा चरित्र चाहें स्त्री का हो या पुरुष का दोनों को समाज में सर्वोच्च स्थान प्राप्त था किन्तु वर्तमान के सन्दर्भ में आप का लेख प्रासंगिक है |शुभ संध्या !

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  3. Mera nam SANTOSH hai.han di aaj kal ladkiyan kam hone ka matlab saf ha ki log use samaj me aek prkar ki aalochnayen vyakt karte hain isiliye aaj jiske yahan ladki paida hui use ya to mar dalte hain aur ya to kachre ke dher me phen dete hain.....mai aap ko bahut bahut dhanywad deta hun ki aapne apne blog me ise darsaya..dhanyawad....

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  4. सिमरन
    आपका लेख और विचार दोनों प्रासंगिक है और वर्तमान परिपेक्ष में आपकी लिखी हुई बातें अत्यंत सोचनीय है और चाहे स्त्री हो या फिर पुरुष दोनों जो आपके इन विचारो को पढ़े उन्हें अवश्य इसपर मंथन करना चाहिए ! पर आज शायद हमे कही और ज्यादा सकारात्मक होने की आवश्यकता है ताकि हम और लोगो को सकारात्मक बना सके!
    लेख के बारे में मेरा ये कहना है ये कही और ज्यादा उत्क्रष्ट हो जाता , कही कही पर ज्यादा खीचा हुआ लगता है !
    जीशान

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