Sunday 1 May 2011

किसी किसी के लिए




पता नहीं क्यूँ तो अचानक ही बेवजह ही '
किसी  किसी के लिए जागता है बिलकुल अलग सा एहसास
कोई वजह नहीं फिर ,क्यूँ होती है हर वक़्त एक बेचैनी
किसी को देखने पाने की चाहत जागती है
किसी के बेहद करीब बैठने को जी करता है
वैसे इसकी कोई खास वजह नहीं होती
तब क्यूँ चाह जगती है
असल में चाहत पर कोई लगाम नहीं होती
ये चाहत,एक सुबह से दूसरी सुबह तक तंग करती है हर रोज़
ये चाहत कभी पूरी नहीं होती,फिर क्यूँ पड़ी रहती है....बेशर्म की तरह
आसरा लगाये रहती है....
तकलीफ होती रहती है,हालाकिं तकलीफ की कोई वजह नहीं होती,तब भी
इसके बावजूद टीसती रहती है
इसी तरह वक़्त बर्बाद होता रहता है

पता नहीं क्यूँ वक़्त के इस दौर में पहुँच कर
किसी किसी के प्रति
ऐसा क्यूँ महसूस करती हूँ
क्यूँ छुपाये रखनी पड़ती है अपनी इच्छाएं

वैसे जिसके प्रति जागता है,ये अलग सा एहसास
वो शख्श ये चाहत देखकर ,कहीं हंस न पड़े
इसी भय में छुपाये रहती हूँ चाहत,आड़ में समेटे रखती हूँ तकलीफें !
यूँ चलती फिरती हूँ मानो मुझे कुछ नहीं हुआ !
मानो सबकी तरह मैं भी सुखी इन्सान हूँ
बस मैं चलती रहती हूँ
यूँ जाने को कितनी जगह होती है
लेकिन जाती नहीं,सिर्फ उसके पास
जिसके लिए बसा है एक अलग सा एहसास!

किसी किसी के लिए यूँ अजीब तरह से
क्यूँ लगता है
यूँ ज़िन्दगी में बाकि पड़े है कितने काम !
इसके बावजूद सबकुछ परे हटाकर ,सिर्फ उसे ही सोचती हूँ
अगर वो ना मिला,तो ये दुःख मुझे तोड़ देगा

ये जानते हुए भी उसे याद करती हूँ
उसे याद करके कोई फायदा नहीं है
इस एहसास के बावजूद भी
उसे ही सोचती हूँ
वो मुझे कभी नहीं मिलेगा,ये जानते हुए
सिर्फ उसे ही पाना चाहती हूँ...............

4 comments:

  1. जब यह एहसास होता है की मेरे लिए भी कोई इस तरह का एहसास करे, और मै उसके एहसास को एहसास ना कर पाऊं, तब लगता है की ये जिंदगी फिर किस काम की जब की हम उसकी भावनाओं को ना समझ पाए, तो हम उसके चाहत के काबिल नहीं ! - धर्मेन्द्र

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  2. बहुत खूब सिमरन उत्कृष्ट लेखन है आप का |कुछ पंक्तिया आप को समर्पित है !झुकी हुई पलकों का क्या है ? राज बता दो |

    बिखरी -बिखरी जुल्फें क्यों है ?इसका भी तो राज बता दो||
    अलसाई ,शर्मायीसी हो या अभी नींद से जगी हो ,
    शुर्ख गुलावी पंखुडियों से अधर तुम्हारे ,इन अधरों पर र्खामोशी क्यों ? इसका भी तो राज बता दो||
    विरह वेदना में डूबी हो ,या कोई चिंतन उन्मुक्त ||

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  3. shukriya avnish ji itni khubsurat panktiyan hume samarpit karne k liye.......

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